Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -19-Oct-2022... दिल का टुकड़ा..

भाभी.... ये कहाँ हैं....? 


बाहर गए हैं....। 

भाभी ये खुश तो हैं ना..? मम्मी ने कुछ बोला क्या..? 

खुश.... तु भी ना.... अरे बच्ची की शक्ल तक नहीं देखी भईया ने...। तुझे क्या ही बताऊँ अभी...। तु तो ओ.टी .में थीं.. नर्स जैसे ही बच्ची की खबर लाई.. तबसे भईया बाहर चले गए हैं...। अभी तक आए ही नहीं हैं...। रही बात मम्मी की तो.... वो तो तु पहले से ही जानती हैं...। पहली लड़की पर क्या कम तमाशा किया था उन्होंने...। एक बात तो बोलूंगी आज मैं भी तुझे दूसरा बच्चा करना ही नहीं चाहिए था...। अब सुनती रहना जिंदगी भर सबके ताने..। खैर वो सब छोड़ ले अभी अपनी बच्ची संभाल और इस को दूध पिला दे...। मैं भी बैठे बैठे थक गई हूँ.. ... भूख भी लगी हैं... मैं नीचे कैंटीन में से कुछ खाकर आतीं हूँ..। 

ठीक हैं भाभी..। 

भाभी बच्ची को मेरी गोद में देकर वहाँ से चलीं गई....।

 मैं कुछ पल बस उसे निहारती रहीं..। बड़ी बड़ी आंखे थी उसकी... बिल्कुल अपनी बड़ी बहन जैसी.. बाल भी एकदम काले... दूध जैसा गोरा रंग..एकदम गोल मटोल चेहरा.. कितनी प्यारी लग रही थीं..। पहली बार जब बच्चा माँ की गोद में आता हैं तो माँ अपनी सारी तकलीफ... सारे दर्द भूल जाती हे...। कुछ घंटों पहले मैं भी जिंदगी ओर मौत की लड़ाई लड़ रहीं थीं...। मेरी कंडिशन इतनी ज्यादा बिगड़ गई थीं की डाक्टर ने साफ़ साफ़ कह दिया था की माँ और बच्चे में से किसी एक को ही बचा पाएंगे...। लेकिन कुदरत का चमत्कार कहूँ या डाक्टर की मेहनत दो घंटे की मशक्कत और आपरेशन के बाद हम दोनों ही सही सलामत थे..। 
आखिर इतनी प्यारी सी गुड़िया को मेरी गोद में जो आना था..ये जंग तो हमें जीतनी ही थीं..। बच्ची को दूध पिलाने के लिए अपने सीने से लगाया और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए खुद से कहा :- तुम बिल्कुल चिंता मत करना ... चाहे कोई साथ हो ना हो..मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी... तुम पर कभी कोई आंच नहीं आने दूंगी...। तुम्हें इतना प्यार दूंगी... वो सब दूंगी.... जिसकी तुम हकदार हो... जितना मुझसे बन पड़ेगा... तुम्हें उतनी खुशी दूंगी..। ठीक वैसे ही जैसे तुम्हारी बहन को दी हैं..। 
मैं बच्ची को निहारते हुए उसके ही ख्यालों में खोई हुई थीं की तभी पतिदेव आए..। 
मेरे पास आकर उन्होंने मुझे जूस देते हुए कहा:- लो इसे पी लो... ठंडा नहीं हैं... उसके बाद ये घी वाली खिचड़ी खा लो... अभी गर्म हैं... थोड़ी ठंडी होने देना...। 
पतिदेव के ये शब्द सुन मैं थोड़ा आश्चर्य में पड़ गई...। भाभी की बात सुनकर मैं इनसे थोड़ी खफ़ा थीं....। मुझसे रहा नहीं गया ओर पूछ बैठी :- आप खुश तो हैं ना..!! 

नहीं... खुश नहीं हूँ... मैं बहुत खुश हूँ...। उन्होंने मुस्कुराते हुवे कहा..। 

तो फिर आप बच्ची की खबर सुनते ही बाहर क्यूँ चले गए थे..! 

तुमसे किसने कहा..! 

भाभी ने..। 

झूठ हैं... मुझे नहीं पता उन्होंने ऐसा क्यूँ कहा... पर मैं वहीं था...। मैने बच्ची को गोद में भी उठाया...। तुम ओ.टी.से बाहर आतीं इससे पहले मम्मी का फोन आया की खाने के लिए कुछ ले जाऊँ..। फिर डाक्टर से पूछकर... तुम्हारे लिए खाना लाने घर चला गया था..और वो देखो साथ में किसे लाया हूँ... बहुत जिद्द कर रहीं थीं.... पापा मुझे भी गुड़िया देखनी हैं.. इसलिए इसे साथ ले आया..। इससे पूछो मैने इसे क्या कहा था..? 

क्या..? 

तुम पुछो..। 

क्या कहा बेटा पापा ने..! 

मम्मी पापा ने कहा था छोटी गुड़िया बिल्कुल मेरे जैसी दिखती हैं..। सच में ऐसा हैं क्या मम्मी..। 

मैने मुस्कुराते हुए गोद में ली हुई गुड़िया का चेहरा उसकी तरफ करते हुवे कहा :- लो तुम खुद देख लो..। 

मेरी बड़ी बेटी उसे देखकर इतना ज्यादा खुश हुई जिसे मैं लब्जो में लिख ही नहीं सकती...। वो अपनी बहन को गोद में बिठाकर उसके छोटे छोटे हाथ और उंगलियाँ निहारने लगी..। 
तभी पतिदेव पास आकर बोले :- दुनिया को... लोगों को... जिसको जो कहना हैं कहने दो... मेरे लिए दोनों बच्चियाँ मेरे दिल का टुकड़ा हैं... समझी...। 
बेटे भाग्य से होतें हैं... लेकिन बेटियां सौभाग्य से होतीं हैं..। उनको पालने के लिए ऊपरवाले किसी खास को ही चुनता हैं... जैसे की तुझे और मुझे चुना हैं...। देखो कितनी खुश हैं दोनों...। 

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10 Comments

Shnaya

21-Oct-2022 08:21 PM

शानदार

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Diya Jethwani

20-Oct-2022 07:52 PM

आप सभी का बहुत बहुत आभार.... ☺

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Abhinav ji

20-Oct-2022 09:30 AM

Very nice

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